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पितृपक्ष श्राद्ध 29 सितंबर से होंगे शुरू, जानें श्राद्ध की तिथियां महंत रोहित शास्त्री से

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पितृपक्ष श्राद्ध 29 सितंबर से होंगे शुरू, जानें श्राद्ध की तिथियां महंत रोहित शास्त्री से

 

जम्मू कश्मीर।इस वर्ष पितृपक्ष श्राद्ध 29 सितंबर, शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं और 14 अक्टूबर शनिवार को समाप्त होंगे। पितरों के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है। पितृपक्ष के दिनों में अपनी शक्ति व सामर्थ्य के अनुसार पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण, दान पुण्य अवश्य करना चाहिए।

पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। श्राद्धों में अपने पितरों मृत्यु तिथि के दिन पिण्डदान, तर्पण, ब्राह्मणों को भोजनएन, कपड़े, फल, मिठाई सहित दक्षिणा ब्राह्मणों को दान देने के बाद गरीबों को खाना खिलाना भी जरूरी है। जितना दान दोगे, वह उतना आपके पूर्वजों तक पहुंचता है। श्राद्ध करने से व्यक्ति पितृऋण से मुक्त होता है और पितरों को संतुष्ट करके स्वयं की मुक्ति के मार्ग पर बढ़ता है और पितर भी प्रसन्न होकर व्यक्ति को आरोग्य, धन, संपदा, मोक्ष आदि सुख प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

पितृपक्ष श्राद्ध के विषय मे श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि श्राद्ध के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण एवं पूजन कर, पात्र में सबसे पहले देवता, पितरों, गाय माता, कौवे, कुत्ते, चींटी का भोजन का थोड़ा सा भाग निकालें। फिर ब्राह्मणों एवं ज़रूरतमंद भोजन अवश्य करवाए ।
किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो तो उनका श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाता है। इसी प्रकार अन्य दिनों में भी ऐसा ही किया जाता है। जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई हो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है। साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है।जिनको पितरों के देहांत की तिथि याद नहीं हो तो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन को सर्वपितृ श्राद्ध कहा जाता है।

*जानें श्राद्ध की तिथियां*

पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध 29 सितम्बर शुक्रवार, दोपहर 03 बजकर 28 मिनट के पहले।

प्रतिपदा, पहला, श्राद्ध 29 सितम्बर शुक्रवार दोपहर 03 बजकर 28 मिनट से लेकर इसी दिन शाम 04 बजकर 16 मिनट के मध्य काल में कर सकते हैं।

द्वितीया, दूसरा श्राद्ध 30 सितम्बर शनिवार दोपहर 12 बजकर 22 मिनट के बाद।

तृतीया, तीसरा, श्राद्ध 01 अक्टूबर रविवार सुबह 09 बजकर 42 मिनट के बाद।

चतुर्थी, चौथा, श्राद्ध 02 अक्टूबर सोमवार सुबह 07 बजकर 37 मिनट के बाद

पंचमी, पांचवा, श्राद्ध 03 अक्टूबर मंगलवार को।

षष्ठी, छठा, श्राद्ध 04 अक्टूबर बुधवार को।

सप्तमी, सांतवा, श्राद्ध 05 अक्टूबर गुरूवार को।

अष्टमी, आंठवा, श्राद्ध 06 अक्टूबर शुक्रवार को।

नवमी, नवां, श्राद्ध 07 अक्टूबर शनिवार।

दशमी, दसवां, श्राद्ध 08 अक्टूबर रविवार।

एकादशी, ग्यारहवां, श्राद्ध 09 अक्टूबर सोमवार दोपहर 12 बजकर 37 मिनट के बाद।

मंगलवार 10 अक्टूबर को किसी भी तिथि का श्राद्ध नहीं होगा।

द्वादशी, बारहवां, श्राद्ध 11 अक्टूबर बुधवार को।

त्रयोदशी, तेरहवां, श्राद्ध 12 अक्टूबर गुरुवार।

चतुर्दशी, चौदहवां, श्राद्ध 13 अक्टूबर शुक्रवार।

अमावस्या तिथि का श्राद्ध 14 अक्टूबर शनिवार, सर्वपितृश्राद्ध एवं पितृ विसर्जन एवं श्राद्ध समाप्त।

श्राद्ध पूजा की सामग्री:

पलाश के पत्ते,कुशा,रोली, सिंदूर, फल, मिठाई, लौंग इलायची, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया ,रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, दक्षिणा, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, खीर, शहद, शक्कर, वस्त्र, स्वांक के चावल, मूंग, पुष्प, गन्ना।

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